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I am celebrating my life with OSHO Mediatation............And continuously trying to know myself...."Who am I?" I don't know whether I can know I or not........But I want to spread the message of truth and love.......In the heart of people....Don't ask the meaning of feeling........Love to be everyone prayer!!!!

Wednesday, April 15, 2009

उसकी महफिल मे मस्ती का जाम भरता हु

उसकी महफिल मे मस्ती का जाम भरता हु
उसकी मय पीने पिलाने का काम करता हु
साज़ मेरे दिल का जो छेड दिया है उसने
बस उसके नग्मे गाने का काम करता हु
गर किसी दिल में तस्वीर बसी हो उसकी
कदमों पे उसी के अपने मुकाम करता हु
जो इस दीवाने का हाथ पकड में आये
थाम कर चूम लेने का काम करता हु
नूर आता हो नज़र उसका आँखों में कही
उसके दीदार में उम्र तमाम करता हु
उसके रस में डूबा मिल जाए मस्त कोई
जिंदगी अरे खुद की उसके नाम करता हू
जो नाचे गए-भगवान वही है बंदा
सदके जाता हू मै उसे सलाम करता हू
उसकी महफिल मे मस्ती का जाम भरता हु
उसकी मय पीने पिलाने का काम करता हु

kya yahi jindagi hai

शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?
जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है?

पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है
भूल गये भीगते हुए टहलना क्या है?

सीरियल्स् के किर्दारों का सारा हाल है मालूम
पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुर्सत कहाँ है?

अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यूं नहीं?
108 हैं चैनल् फ़िर दिल बहलते क्यूं नहीं?

इन्टरनैट से दुनिया के तो टच में हैं,
लेकिन पडोस में कौन रहता है जानते तक नहीं.

मोबाइल, लैन्डलाइन सब की भरमार है,
लेकिन जिग्ररी दोस्त तक पहुँचे ऐसे तार कहाँ हैं?

कब डूबते हुए सुरज को देखा त, याद है?
कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?

तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़् के करना क्या है
जब् यही जीना है तो फ़िर मरना क्या है

हर चहरे मे कुछ तोह एह्साह है,

आपसे दोस्ती हम यूं ही नही कर बैठे,

क्या करे हमारी पसंद ही कुछ "ख़ास" है. .

चिरागों से अगर अँधेरा दूर होता,

तोह चाँद की चाहत किसे होती.

कट सकती अगर अकेले जिन्दगी,

तो दोस्ती नाम की चीज़ ही न होती.

कभी किसी से जीकर ऐ जुदाई मत करना,

इस दोस्त से कभी रुसवाई मत करना,

जब दिल उब जाए हमसे तोह बता देना,

न बताकर बेवफाई मत करना.

दोस्ती सची हो तो वक्त रुक जता है

अस्मा लाख ऊँचा हो मगर झुक जता है

दोस्ती मे दुनिया लाख बने रुकावट,

अगर दोस्त सचा हो तो खुदा भी झुक जता है.

दोस्ती वो एहसास है जो मिटती नही.

दोस्ती पर्वत है वोह, जोह झुकता नही,

इसकी कीमत क्या है पूछो हमसे,

यह वो "अनमोल" मोटी है जो बिकता नही . . .

सची है दोस्ती आजमा के देखो..

करके यकीं मुझपर मेरे पास आके देखो,

बदलता नही कभी सोना अपना रंग ,

चाहे जितनी बार आग मे जला के देखो

Friday, April 10, 2009

COMPUTER SHAYARI

Kal jab mile the...
to dil mein hua ek SOUND...
or aj mile to kehte hai...
ur FILE NOT FOUND...

Jo muddat se hota aaya hai...
vo REPEAT kar dunga...
tu na mili to apni jindagi ko...
CTRL+ALT+DELETE kar dunga...

Shayad mere pyar ko...
TEST karna bhul gaye...
dil se aisa CUT kiya...
ki PASTE karna bhul gaye...

Lakhon honge nigah mein...
kabhi mujhe bhi pick karo...
mere pyar ke ICON pe...
kabhi to DOUBLE CLICK karo...

Roj subah ham karte hain...
pyar se unhe gud morning...
vo aise ghur ke dekhti hai...
jaise 0 ERROR or 5 WARNINGS...

Aisa bhi nahi hai ki...
i don't like ur face...
par dil ke STORAGE mein...
no more DISK SPACE...

Ghar se jab tum nikle...
pehen ke reshmi gaun...
jane kitne dilo ka...
ho gaya SERVER DOWN.....

Sunday, March 29, 2009

Manoj's Scrap

मत इंतज़ार कराओ हमे इतना
कि वक़्त के फैसले पर अफ़सोस हो जाये
क्या पता कल तुम लौटकर आओ
और हम खामोश हो जाएँ

दूरियों से फर्क पड़ता नहीं
बात तो दिलों कि नज़दीकियों से होती है
दोस्ती तो कुछ आप जैसो से है
वरना मुलाकात तो जाने कितनों से होती है

दिल से खेलना हमे आता नहीं
इसलिये इश्क की बाजी हम हार गए
शायद मेरी जिन्दगी से बहुत प्यार था उन्हें
इसलिये मुझे जिंदा ही मार गए

मना लूँगा आपको रुठकर तो देखो,
जोड़ लूँगा आपको टूटकर तो देखो।
नादाँ हूँ पर इतना भी नहीं ,
थाम लूँगा आपको छूट कर तो देखो।

लोग मोहब्बत को खुदा का नाम देते है,
कोई करता है तो इल्जाम देते है।
कहते है पत्थर दिल रोया नही करते,
और पत्थर के रोने को झरने का नाम देते है।

भीगी आँखों से मुस्कराने में मज़ा और है,
हसते हँसते पलके भीगने में मज़ा और है,
बात कहके तो कोई भी समझलेता है,
पर खामोशी कोई समझे तो मज़ा और है...!
मुस्कराना ही ख़ुशी नहीं होती,
उम्र बिताना ही ज़िन्दगी नहीं होती,
दोस्त को रोज याद करना पड़ता है,
क्योकि दोस्त कहना ही दोस्ती नहीं हो

Sunday, March 22, 2009

ये मोहबत्त

मै पूछता नहीं ये मोहबत्त कब ,क्यू, और केसे होती है
मै जानता हू की जब ये होती है तो खुदा की रहमत होती है ..
सदिया लगी है सदियों से इसकी हस्ती मिटाने को
न जाने इसमें क्या बात है की हर सदी में ये फिर से जंवा होती है
मत पूछो तुम इसकी जूनून की हद को
पि लेती है विष प्याला भी जब कोई मीरा दीवानी होती है
कभी कृष्ण ने ,कभी हीर ने ,कभी फ़राज़ ने दिए है इसे नए रंग
मिट गया जो इसके जूनून में उसकी मोत भी एक कहानी होती है
लाख बिठालो तुम इस पर चाहे कितने ही पहरे
आता है जब मोसम इसका तो कभी बनके ये शोला कभी बनके शबनम ये बरसती है ........

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